Wednesday, 7 December 2011

जहाँ में फ़क़त हम


जहाँ में फ़क़त हम  तुझे  अपना  माने |
नहीं  तो  बताओ  किसे  अपना  माने ?

किसी  की  निग़ाहें  मुझे   अपना  माने |
किसी  की  निग़ाहें  तुझे   अपना  माने ||

रही है ये मुश्किल किसे  अपना  माने ?
कहीं  तो  है  कोई  जिसे  अपना  माने ||

ज़माने   में   हैं   आज   इंसान  वो  भी |
नहीं कोई जिनका किसे अपना  माने ?

कोई  माने  इसको  कोई माने उसको |
मैं  मानू  उसे  तू  जिसे  अपना  माने ||

तुम्हारे  नगर  में  तुम्हारे  सिवा  सब |
बड़े  ही  अदब  से  मुझे  अपना  माने ||

ख़ुदा में यक़ीं हो  हमेशा  ही  जिसका |
ख़ुदा भी यक़ीनन  उसे अपना  माने ||

तू  माने  न  माने  ये  तेरी   है  मर्जी |
मगर दिल हमारा तुझे  अपना माने ||

तुम्हारा  हुआ  है  ये दिल तो कभी का |
कहो किस तरह हम इसे अपना माने ?

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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