जहाँ में फ़क़त हम तुझे अपना माने |
नहीं तो बताओ किसे अपना माने ?
किसी की निग़ाहें मुझे अपना माने |
किसी की निग़ाहें तुझे अपना माने ||
रही है ये मुश्किल किसे अपना माने ?
कहीं तो है कोई जिसे अपना माने ||
ज़माने में हैं आज इंसान वो भी |
नहीं कोई जिनका किसे अपना माने ?
कोई माने इसको कोई माने उसको |
मैं मानू उसे तू जिसे अपना माने ||
तुम्हारे नगर में तुम्हारे सिवा सब |
बड़े ही अदब से मुझे अपना माने ||
ख़ुदा में यक़ीं हो हमेशा ही जिसका |
ख़ुदा भी यक़ीनन उसे अपना माने ||
तू माने न माने ये तेरी है मर्जी |
मगर दिल हमारा तुझे अपना माने ||
तुम्हारा हुआ है ये दिल तो कभी का |
कहो किस तरह हम इसे अपना माने ?
डा० सुरेन्द्र सैनी
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